नवकुसुम

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मंगलवार, 30 मई 2017

नारी

नारी को मत समझो अबला 
नारी सदा रही है सबला
क्यो पड़े हो इसके पीछे
अपने को संभालो जरा
नित्य नये नये करते हो तांडव 
इस तांडव से बच नही पाओगे 
अरे ये वही सीता मां का रूप है नारी
जिसके कारण लंका का विनाश हुआ
उस द्रोपदी को याद करो
जिसके कारण कौरवो का नाश हुआ
उस दुर्गा मां का ध्यान करो
जिनके हुंकार मात्र से धुम्रलोचन का नाश हुआ
अरे झाँसी और झलकारी को भूल गये 
जिसने फिरगीयो के छक्के छुड़ा दिये
अब भी तुम कुछ चिंतन करो
क्या क्या रूप है नारी का
तांडव करने वालो के लिये
विकराल काली की रूप है नारी 
और सम्मान करने वालो के लिये
ऑचल मे सदा बहती
ममता वात्सल्य की धारा है नारी।
निवेदिता चतुर्वेदी 'निव्या'

रविवार, 24 जनवरी 2016

मुक्तक


मार कुल्हाडी पैरों में क्यों  कर रहे हो बर्बादी।
काटकर हरें भर्रे वृक्षों को बुला रहे हो तबाही।
वृक्ष न रहें तो पर्यावरण पर क्या प्रभाव होगा
असंतुलित होगा पर्यावरण कौन देगा गवाही।।
_______________________निवेदिता चतुर्वेदी

गुरुवार, 25 जून 2015

मन .......

ये  मन  तु  उदास  मत  हो |

सुख  -दुःख  तो  आनी  हैं ,
कष्ट  आएंगे  उसे सहना होगा |
फिर से  तुम्हे  सम्भलना होगा ,
ये  मन  तु  उदास  मत  हो |

सूरज  फिर  से  उदय  होगा ,
कल  नया  सवेरा  लाएगा |
अपनी  रौशनी से जग को जगमगाएगा ,
ये  मन  तु  उदास  मत  हो |

तुम फिर से उस प्यार को पाओगे ,
जो प्यार को तुमने खोया है |
खोया हुआ दिन फिर से वापस आएंगे ,
ये  मन  तु  उदास  मत  हो |

तुम्हारे  इस  निराशा   पर ,
आशाओ  के फूल  खिलेंगे |
फिर से  तुम्हारी  जिंदगी में ,
नयी -नयी खुशिया बहार आएंगे |
ये  मन  तु  उदास  मत  हो |

.........निवेदिता  चतुर्वेदी 

गुरुवार, 14 मई 2015

यादें

आज आपकी यादों में आँखें भर आई .............
क्या कहुँ क्या सुनु कुछ समझ न आयीं |
बीतें हुए पलों को याद करके  उदासी छायीं |
जहाँ भी मैं रहती वहाँ अकेलापन महशुस करती |
आज आपकी यादों ......................

याद आती है वो पलें जब साथ रहा करती थी |
साथ ही साथ हँसा, बोला ,खेला,करती थी |
कभी भी आपसे बिछड़ने की आशा नहीं रखी थी |
आज आपकी यादों .................

परेशानियां भी आती तो आपको ही बताती |
तभी मेरा मन हल्का हो जाती |
आप भी मेरे हर सुख -दुःख में साथ निभाती |
आज आपकी यादों ...............

आज किसे सुनाउ मैं अपनी बातें |
जो बातें आपको सुनाया करती थी |
आपभी प्यारी -प्यारी बातों से भरमाया करती थी |
आज आपकी यादों ...............

वो दिन भी आज याद आ गए |
जब मैं ऑफिस से घर आया करती |
आपने ही तो मेरे लिए नास्ता तैयार रखती |
आज आपकी यादों .................

काश ! वो दिन फिर से आ जाएँ |
हम और आप साथ-साथ हो जाएँ |
फिर से एक जूट हो कर सबको हंसाएं |
आज आपकी यादों ..........
                                 निवेदिता चतुर्वेदी 



रविवार, 12 अप्रैल 2015

अत्याचार

लड़कियों पर क्यों होते अत्याचार , मिलती है प्रताड़ना हर कदम पर , गलती चाहे जिसकी भी हो पर , सबकुछ सहन उसे ही करना पड़ता | यह दुनिया भी अजीब सी हो गयी , सब देखते हुए अनजान बन गयी , उसकी भावनाओ को कोई नहीं समझता , लगता है सबकी मर चुकी है भावना | सुनते नहीं आवाज कोई उसकी , वो किसे सुनाये दिल-दर्द अपनी , सारे कष्टो को अपने दिल में समेटे , बड़ी आकांक्षाओ को अंदर ही दबाये | अंदर ही अंदर घूंट- घूंट कर जीती , आखिर कौन है सुनने वाले उसकी , जो भी बने हुए थे उसके अपने , वहीं ठहरने लगे है गुनहगार उसे | ऐसी परिस्थिति क्यों बनी है उसकी , मैं भी कुछ समझ नहीं पाती |.. .....निवेदिता चतुर्वेदी ..

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे।


तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे। हमें छोड़ कर आखिर कहाँ जाओगे। मैं आश लगाये बैठीं हूँ, कब मेरे सपने पुरा करोगे। तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे। हमें ये भी पता है,तुम पुरा करेंगे। पर कुछ परेशानियां तो दोगे ही। परेशानियां ही सही पर पुरा तो करोगे। तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे। हमे तुम पर पुरा यकीन भी है। कि तुम मेरा साथ कभी नहीं छोड़ोगे। यदि छोड़ भी दिया तो क्या? बुलाने पर तो आओगे। तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे। ------निवेदिता चतुर्वेदी

प्रसन्नता का रहस्य।


प्रसन्नता मनुष्य के सौभाग्य का चिन्ह है।प्रसन्नता एक अध्यात्मिक वृत्ति है,एक दैविय चेतना है सत्य तो यह है कि प्रमुदित मन वाले व्यक्ति के पास लोग अपना दुख दर्द भूल जाते हैं।जीवन में कुछ न होने पर भी यदि किसी का मन आनंदित है तो वह सबसे सम्पन्न मनुष्य है।आन्तरिक प्रसन्नता के लिए किन्हीं बाहरी साधन की आवश्यकता नहीं होती,क्यों कि प्रसन्नचित्त एक झोपड़ी में भी सुखी रह सकता है।प्रसन्न मन में ही अपनी आत्मा को देख सकता है।पहचान सकता है।सत्य तो यह है कि जो विकारो से जितना दूर रहेगा। वह उतना ही प्रसन्नचित्त रहेगा।शुद्ध हृदय वाली आत्मा सदैव ईश्वर के समीप रह सकती है।हर कोई चाहता है कि उसका भविष्य उज्ज्वल बने सदा प्रसन्नता उसके साथ हो।इच्छा की पूर्ति तनिक भी असम्भव नहीं है,यदि हम अपने विचारों पर नियंत्रण करना सीख ले,एवं कुविचारों को हटाना ।सद्विचारों में एक आकर्षण शक्ति होती है।जो सदैव हमें प्रसन्न ही नहीं बल्कि परिस्थितियों को भी हमारा दास बना देती है। ------------निवेदिता चतुर्वेदी